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एक खास काम करता हूं

एक खास काम करता हूं मैं तुम्हें याद करता हू
यूँ ही ख्यालो मे तुम्हारे वक्त अपना बर्बाद करता हूं

मुझे मालूम है ए-जाने वाले तुम जाकर ही मानोगे
मग़र मैं पागल फिर भी रुक जाने की फ़रियाद करता हूं

बाते तुम्हारी कोई प्यारी गज़ल जैसी लगती है
लिहाज़ा कहने के बाद वाह वाह पहले इरशाद करता हूं

एक खूबसूरत ख्वाब देख रहा हूं बीती कयी रातों से मैं
चुनने को झूमके साड़ी वास्ते मैं तुम्हारी इमदाद करता हूं

बिना कोई ख़ास कारण तुम मुझे सीने से नहीं लगाती हो ना

यहि वज़ह है के समय दर समय मैं आंसू ईजाद करता हूं

इमदाद=मदद

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3 Comments

Suryansh

21-Oct-2022 06:55 AM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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Sachin dev

17-Oct-2022 04:41 PM

Nice 👌🏻

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Reena yadav

16-Oct-2022 03:42 PM

👍👍🌺

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